शासन व्यवस्था
संसद टीवी विशेष: स्मार्ट सिटीज़ | प्रौद्योगिकी और मानवता का मिलन
- 03 Feb 2025
- 17 min read
प्रीलिम्स के लिये:स्मार्ट क्लासरूम, स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM), शहरी बुनियादी ढाँचा, आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA), सतत्, समावेशी, शहरी चुनौतियाँ, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), म्यूनिसिपल बॉण्ड, आवास, स्मार्ट सड़कें, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ, शहरी पारगमन प्रणाली, समीक्षा शृंखला, ईज़ ऑफ लिविंग, अपशिष्ट प्रबंधन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ब्लॉकचेन साइबर सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत बनाता है। मेन्स के लिये:सतत् विकास के लिये स्मार्ट सिटी मिशन का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रबंधन संस्थान, बंगलूरू की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) के तहत शुरू की गई स्मार्ट क्लासरूम से 19 शहरों में स्कूल नामांकन में 22% की वृद्धि हुई है।
- नवंबर 2024 तक, स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कर ली हैं, 91% परियोजनाएँ पूरी हो गई हैं, जिससे शहरी बुनियादी ढाँचे और जीवन की समग्र गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) क्या है?
- परिचय: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा जून 2015 में शुरू किये गए स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) का उद्देश्य सतत्, समावेशी और प्रौद्योगिकी-संचालित विकास को बढ़ावा देकर शहरी जीवन में बदलाव लाना है।
- शेष 10% परियोजनाओं को पूरा करने के लिये मिशन की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है।
- प्रमुख घटक और रणनीतियाँ:
- क्षेत्र-आधारित विकास (ABD): नागरिक सहभागिता और लक्षित हस्तक्षेप के माध्यम से शहरों के भीतर विशिष्ट क्षेत्रों को अनुकरणीय शहरी मॉडल में उन्नत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इन हस्तक्षेपों में बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण और महत्त्वपूर्ण शहरी चुनौतियों का कुशलतापूर्वक समाधान करने के लिये सेवा वितरण को बढ़ाना शामिल है।
- पैन-सिटी परियोजनाएँ: बेहतर प्रबंधन के लिये कुशल यातायात प्रणाली, एकीकृत कमांड सेंटर और ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म जैसे शहर-व्यापी बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों को नियोजित करती है।
- विशेष प्रयोज्य वाहन (SPV): शहरों ने SCM परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिये SPV का गठन किया, जिससे सुदृढ़ प्रशासन, जवाबदेही और त्वरित परियोजना निष्पादन सुनिश्चित हुआ।
- वित्तपोषण तंत्र: SCM ने अपनी परियोजनाओं को बनाए रखने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), म्यूनिसिपल बॉण्ड और केंद्र और राज्य सरकार के योगदान जैसे विविध वित्तपोषण स्रोतों का उपयोग किया।
- प्रदर्शन विश्लेषण: ईज़ ऑफ लिविंग सूचकांक (EoI), नगरपालिका प्रदर्शन सूचकांक (MPI) और जलवायु स्मार्ट शहर आकलन ढाँचा (CASCAF) स्मार्ट सिटी को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ये सूचकांक बुनियादी ढाँचे, शासन और ईज़ ऑफ लिविंग, जवाबदेही को बढ़ावा देने, कुशल संसाधन प्रबंधन और डेटा-आधारित निर्णय लेने जैसे शहरी पहलुओं का मूल्यांकन करते हैं।
- क्षेत्र-आधारित विकास (ABD): नागरिक सहभागिता और लक्षित हस्तक्षेप के माध्यम से शहरों के भीतर विशिष्ट क्षेत्रों को अनुकरणीय शहरी मॉडल में उन्नत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- लक्ष्य और कार्यक्षेत्र:
- मिशन की व्यापक रणनीतियों को लागू करने के लिये 100 शहरों का प्रतिस्पर्द्धी आधार पर चयन किया गया।
- लक्षित क्षेत्रों में आवास, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शासन और मनोरंजक स्थान शामिल हैं।
- 8,075 परियोजनाओं के लिये कुल 1.47 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जिसमें अनुसंधान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये SAAR (स्मार्ट सिटीज़ एंड एकेडमिया टूवर्ड्स एक्शन एंड रिसर्च) जैसे नवीन प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- परियोजना पूर्णता: ₹1,64,368 करोड़ की लागत की कुल 8,058 परियोजनाओं की योजना बनाई गई थी, जिनमें से 7,479 परियोजनाएँ (93%) सफलतापूर्वक पूर्ण हुईं, जो शहरी आधुनिकीकरण के लिये SCM की दक्षता और प्रतिबद्धता को उज़ागर करती है।
- स्मार्ट सड़कें, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और उन्नत सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ जैसे नवाचारों को शुरू किया गया, जिससे शहरी स्थानों को कुशल और सतत् वातावरण में परिवर्तित किया गया।
- शिक्षा में सुधार: 71 शहरों के 2,398 सरकारी स्कूलों में 9,433 स्मार्ट क्लासरूम के कार्यान्वयन से वर्ष 2015-16 और वर्ष 2023-24 के बीच नामांकन में 22% की वृद्धि हुई, जिससे छात्रों की सहभागिता और उपस्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
- व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने स्मार्ट प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग को सक्षम बनाया, जिसमें वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षकों ने उच्चतम सहजता स्तर और अपनाने की दर प्रदर्शित की।
- डिजिटल पुस्तकालय: 41 शहरों में डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किये गए, जिनमें 7,809 विद्यार्थियों को सुविधा प्रदान की गई, जिससे शिक्षण संसाधनों तक बेहतर पहुँच संभव हुई।
- रायपुर और तुमकुरु जैसे शहरों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये इन पुस्तकालयों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।
- शहरी अवसंरचना विकास: प्रमुख सुधारों में नागरिक सहभागिता और गतिशीलता को बढ़ाने के लिये डिज़ाइन की गई स्मार्ट सड़कों, सार्वजनिक स्थानों और सतत् शहरी पारगमन प्रणालियों का निर्माण शामिल है।
- बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के एकीकरण से ऊर्जा लागत में कमी आई और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार हुआ।
- स्वास्थ्य: कुल 172 ई-स्वास्थ्य केंद्र और क्लीनिक (बिना समर्पित बिस्तरों के) स्थापित किये गए हैं, साथ ही 152 हेल्थ ATM भी स्थापित किये गए हैं।
- SAAR पहल के अंतर्गत प्रभाव अध्ययन: समीक्षा शृंखला के अंतर्गत IIM और IIT सहित शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किये गए 50 प्रभाव आकलनों में ईज़ ऑफ लिविंग, शासन और आर्थिक विकास पर मिशन के परिणामों का मूल्यांकन किया गया।
- इन अध्ययनों ने नागरिक संतुष्टि, शहरी प्रबंधन और समग्र शासन दक्षता में महत्त्वपूर्ण सुधारों पर प्रकाश डाला।
- रोज़गार और आर्थिक अवसर: इस मिशन से स्थानीय स्तर पर पर्याप्त रोज़गार के अवसर सृजित हुए और शहरी उत्पादकता में वृद्धि हुई, विशेष रूप से छोटे शहरों में, जहाँ इस तरह के हस्तक्षेप की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
- प्रौद्योगिकी प्रगति: एकीकृत कमांड केंद्रों की स्थापना से शहरी प्रणालियों में डेटा-आधारित निर्णय लेने और इष्टतम संसाधन आवंटन को सक्षम करके शासन दक्षता में वृद्धि हुई।
स्मार्ट सिटी मिशन से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- वित्तीय बाधाएँ: वित्तपोषण में कमी और सरकारी आवंटन पर अत्यधिक निर्भरता के कारण लगातार विलंब के कारण, विशेष रूप से छोटे शहरी केंद्रों में, परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं।
- भारत में SCM का बजट वर्ष 2023-24 में 80 बिलियन रुपए से घटाकर वर्ष 2024-25 में 24 बिलियन रुपए कर दिया गया।
- दीर्घकालिक और संसाधन-गहन परियोजनाओं के लिये निजी निवेश प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण था, जिससे वित्तीय स्थिरता सीमित हो गई।
- भूमि उपलब्धता की चुनौतियाँ: इसमें सीमित शहरी स्थान, उच्च भूमि लागत, भूमि अधिग्रहण के मुद्दे और परस्पर विरोधी भूमि उपयोग नीतियाँ शामिल हैं, जो सतत् शहरी बुनियादी ढाँचे की कुशल योजना और विकास को बाधित करती है।
- समन्वय और शासन संबंधी मुद्दे: केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच समन्वय में अकुशलता के कारण प्रायः विलंब होता है और परियोजना क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न होती है।
- विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों में अस्पष्टता के कारण शासन संबंधी समस्याएँ और भी गंभीर हो गईं।
- तकनीकी और कौशल अंतराल: उन्नत स्मार्ट प्रणालियों के कार्यान्वयन और रखरखाव के लिये कुशल कर्मियों के अभाव से से परियोजना के निष्पादन और दीर्घकालिक स्थिरता में बाधा उत्पन्न हुई।
- पुरानी प्रणालियों (Legacy Systems) और नव क्रियान्वित स्मार्ट प्रौद्योगिकियों के बीच असंगति ने महत्त्वपूर्ण एकीकरण चुनौतियाँ उत्पन्न कीं।
- समावेशिता संबंधी चिंताएँ: विषमतापूर्ण संसाधन आवंटन के कारण हाशिये पर पड़े समुदायों को प्रायः स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के पूर्ण लाभों तक पहुँच से वंचित रखा जाता है।
- अभिजात शहरी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने से कभी-कभी अविकसित अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकताओं की अनदेखी हो जाती है, जिससे असमानता बढ़ जाती है।
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ: SCM के अंतर्गत तीव्र शहरीकरण के कारण कभी-कभी असंवहनीय कार्यकलापों को बढ़ावा मिलता है, जिनमें अत्यधिक संसाधन उपभोग और सघन आबादी वाले क्षेत्रों में अपशिष्ट उत्पादन शामिल है।
- कुछ परियोजनाओं में मज़बूत स्थायित्व उपायों की कमी उनके पारिस्थितिक प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम करने में विफल रही।
आगे की राह
- उन्नत वित्तीय तंत्र: सभी शहरों के लिये वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये म्यूनिसिपल बॉण्ड और अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण अवसरों जैसे नवीन वित्तपोषण मॉडल विकसित करना।
- छोटे शहरों में निजी निवेश के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने से दीर्घकालिक परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण की उपलब्धता में सुधार हो सकता है।
- सुव्यवस्थित शासन और समन्वय: नौकरशाही संबंधी विलंबता को कम करने और सभी हितधारकों के लिये स्पष्ट जवाबदेही ढाँचे की स्थापना के लिये अंतर-सरकारी सहयोग को मज़बूत करना।
- शिक्षाविदों, नीति विशेषज्ञों और सरकारी निकायों के बीच प्रभावी एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये SAAR जैसे प्लेटफार्मों का विस्तार करना चाहिये।
- क्षमता निर्माण: परियोजना निष्पादन में शामिल शहरी योजनाकारों, इंजीनियरों और प्रशासनिक कर्मियों के कौशल को बढ़ाने के लिये व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिये।
- सिस्टम की दक्षता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिये स्मार्ट प्रौद्योगिकियों का प्रबंधन करने वाले पेशेवरों के लिये निरंतर समर्थन सुनिश्चित करना।
- समावेशिता को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित करने के लिये कि हाशिये पर पड़े समुदायों और अविकसित क्षेत्रों को स्मार्ट सिटी परियोजनाओं से समान रूप से लाभ मिले, अनुकूलित हस्तक्षेप आवश्यक हैं।
- शहरी-ग्रामीण अंतर को पाटने पर ध्यान केंद्रित करना, इसके लिये स्मार्ट अवसंरचना को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करना, जहाँ ऐसे हस्तक्षेप दुर्लभ हैं।
- स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना: पर्यावरणीय चिंताओं का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, कुशल संसाधन प्रबंधन और हरित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दिया जाना चाहिये।
- पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और सतत् शहरीकरण प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों का विकास करना।
- प्रौद्योगिकी प्रगति: शहरी प्रबंधन प्रणालियों और सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश में तेज़ी लाना।
- संवेदनशील डेटा की सुरक्षा और स्मार्ट प्रणालियों में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिये साइबर सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न. 'स्मार्ट शहरों' से क्या तात्पर्य है? भारत के शहरी विकास में इनकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिये। क्या इससे ग्रामीण तथा शहरी भेदभाव में बढ़ोतरी होगी? पी.यू.आर.ए, एवं आर.यू.आर.बी.ए.एन. मिशन के संदर्भ में 'स्मार्ट गाँवों' के लिये तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2016) |